यमुनानगर से दिल्ली के बीच बनेगा एक्सप्रेस-वे, चार राज्यों को होगा फायदा, उद्योगों को लगेंगे पंख
उत्तरी हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड और पश्चिमी यूपी के शहरों को सीधे देश की राजधानी से जोड़ने के लिए यमुनानगर से दिल्ली के बवाना तक एक्सप्रेस वे बनाने की फाइल को फिर से निकाल लिया गया है। अंबाला के सांसद और केंद्रीय जलशक्ति, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया ने इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए हाल ही में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट यानि डीपीआर तैयार करने की सिफारिश की है।
इस पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने संबंधित अधिकारियों से इस प्रोजेक्ट की डिटेल मांगी है। करीब आठ हजार करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से टिवनसिटी की स्टील और प्लाईवुड इंडस्ट्री को पंख लगेंगे। वहीं राजधानी दिल्ली से सीधी कनेक्टिविटी के अलावा करनाल, पानीपत, सोनीपत, रोहतक समेत हरियाणा के अन्य हिस्सों में जाना आसान हो जाएगा। इस एक्सप्रेस वे के शुरू होने से यमुनानगर से सटे हिमाचल, उत्तराखंड और पश्चिमी यूपी के शहरों की भी दिल्ली से दूरी कम हो जाएगी।
अभी ये है रास्ता, लगते हैं पांच घंटे
यमुनानगर से दिल्ली जाने के लिए फिलहाल लाडवा तक सहारनपुर-कुरूक्षेत्र स्टेट हाईवे, उसके बाद वाया इंद्री होते हुए करनाल नेशनल हाईवे नंबर 44 पर पहुंचते हैं। इसके बाद पानीपत, सोनीपत और फिर दिल्ली पहुंचा जाता है। 200 किमी का यह सफर चार से पांच घंटे में तय होता है। नया एक्सप्रेस वे तैयार होने के बाद केवल तीन घंटे लगेंगे।
इस पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने संबंधित अधिकारियों से इस प्रोजेक्ट की डिटेल मांगी है। करीब आठ हजार करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से टिवनसिटी की स्टील और प्लाईवुड इंडस्ट्री को पंख लगेंगे। वहीं राजधानी दिल्ली से सीधी कनेक्टिविटी के अलावा करनाल, पानीपत, सोनीपत, रोहतक समेत हरियाणा के अन्य हिस्सों में जाना आसान हो जाएगा। इस एक्सप्रेस वे के शुरू होने से यमुनानगर से सटे हिमाचल, उत्तराखंड और पश्चिमी यूपी के शहरों की भी दिल्ली से दूरी कम हो जाएगी।
अभी ये है रास्ता, लगते हैं पांच घंटे
यमुनानगर से दिल्ली जाने के लिए फिलहाल लाडवा तक सहारनपुर-कुरूक्षेत्र स्टेट हाईवे, उसके बाद वाया इंद्री होते हुए करनाल नेशनल हाईवे नंबर 44 पर पहुंचते हैं। इसके बाद पानीपत, सोनीपत और फिर दिल्ली पहुंचा जाता है। 200 किमी का यह सफर चार से पांच घंटे में तय होता है। नया एक्सप्रेस वे तैयार होने के बाद केवल तीन घंटे लगेंगे।
प्रोजेक्ट के सियासी मायने भीतत्कालीन सीएम भजन लाल ने इस योजना पर 1994-95 में काम करना शुरू किया था। तब सर्वे भी हुआ था। इसके बाद यह योजना फाइलों में ही दबी रह गई। साल 2015 में मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने इस दबी हुई फाइल को निकाला और प्रोजेक्ट को शुरू करवाने का प्रयास किया था लेकिन किसी न किसी वजह से यह मामला लटका रहा।
इस प्लानिंग के सियासी मायने भी है। क्योंकि अभी तक के मुख्यमंत्रियों पर ये आरोप थे कि उन्होंने सारे बड़े प्रोजेक्ट पुराने रोहतक जिले को दिए। इसके बनने से मैसेज जाएगा कि भाजपा-2 सरकार यमुनानगर, करनाल, पानीपत यानि जीटी बेल्ट पर ध्यान दे रही है।
ये है एक्सप्रेस वे का प्रोजेक्ट
इस प्लानिंग के सियासी मायने भी है। क्योंकि अभी तक के मुख्यमंत्रियों पर ये आरोप थे कि उन्होंने सारे बड़े प्रोजेक्ट पुराने रोहतक जिले को दिए। इसके बनने से मैसेज जाएगा कि भाजपा-2 सरकार यमुनानगर, करनाल, पानीपत यानि जीटी बेल्ट पर ध्यान दे रही है।
ये है एक्सप्रेस वे का प्रोजेक्ट
- कुल लंबाई-200 किमी, 160 किमी एनसीआर क्षेत्र और 40 किमी यमुनानगर जिला।
- अनुमानित लागत-करीब आठ हजार करोड़ रुपये।
- यमुनानगर, इंद्री, करनाल, मूनक, पानीपत और सोनीपत, दिल्ली तक रूट।
- चार रेलवे ओवर ब्रिज और 10 फ्लाईओवर और 10 की सर्विस लेन होगी।
- राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर यातायात दबाव कम होगा।
यमुनानगर बनेगा टर्मिनल
बेहतर कनेक्टिविटी न होने से हिमाचल, उत्तराखंड, पश्चिमी यूपी, हरियाणा और दिल्ली के बीच व्यापारिक संबंध स्थापित नहीं हो पा रहे हैं। पंजाब, चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर को उत्तराखंड और यूपी से जोड़ने वाला हाईवे पहले ही बन चुका है।
इसके अतिरिक्त हिमाचल से कनेक्टिविटी के लिए जगाधरी पावंटा साहिब नेशनल हाईवे भी फोर लेन बनाया जाना है। ऐसे में यमुना एक्सप्रेस-वे पर यात्रा करने वाले पैसेंजर्स, कामर्शियल और कारगो वाहनों के लिए यमुनानगर टर्मिनल के रूप में विकसित होगा।
इसके अतिरिक्त हिमाचल से कनेक्टिविटी के लिए जगाधरी पावंटा साहिब नेशनल हाईवे भी फोर लेन बनाया जाना है। ऐसे में यमुना एक्सप्रेस-वे पर यात्रा करने वाले पैसेंजर्स, कामर्शियल और कारगो वाहनों के लिए यमुनानगर टर्मिनल के रूप में विकसित होगा।